गोल्डन टेम्पल  की नींव

सिखों के पाचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने लाहोर के एक सूफी संत साई मियां मीर से 1577 में गुरुदुवारे की नीह रखवाई थी गुरुदुवारे के बन्नने का आरंब 1581 में हुवा

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स्वर्ण मंदिर के सरोवर का निर्माण 

सिखों के चोथे गुरु श्री गुरु रामदास जी ने आपने हाथो से 1577 में सरोवर (अमृत का पुल) का निर्माण शुरू करवाया था | 

अमृतसर का नाम

अमृतसर, शहर, का नाम पवित्र सरोवर के नाम पे रखा गया था , जिस सरोवर को “अमृत का पुल” कहा जाता था,जहाँ पर अभी गोल्डन टेम्पल है 

विदेशी पर्यटकों के आने का मुख्य कारन

सवदेसी और विदेशी पर्यटकों का एक प्रमुख सोने की परत से ढका गुरुदवारा आकर्षण का  केंद्र है। यह सिख धर्म का धार्मिक और सिखों के प्रमुख पूजा स्थल भी है 

golden temple में लगा सोना  

महाराजा रणजीत सिंह ने (1801–39) में अपने शासनकाल के दौरान, मंदिर के ऊपरी हिस्से को सोने की परत से ढक दिया

गुरु का लंगर 

अमृतसर का स्वर्ण मंदिर में एक बहुत बड़ा लंगर हाल है जहा पर हजारों की संखेया में आने वाले सर्दालुयों और तीर्थयात्रियों लिए दैनिक भोजन प्रदान करता है

Jallianwala Bagh

स्वर्ण मंदिर से  500 मीटर की दुरी पर एक विशाल पार्क है , जिसे जलियांवाला बाग कहा जाता है

जल्लियाँवाला बाग की घटना

जहां 13 अप्रैल, 1919 को ब्रिटिश सासक जनरल डायेर ने निहत्थे भारतीय प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गोलीबारी की थी

खुनी कुआं

गोलियों से बचने के भगदड़ में लोग गोलियों से बचने के लिए कुएं में सलंग लगा दी एक ऊपर एक कूदने से पूरा कुह्वा लासों से ऊपर तक बार गया | जिसे आज खूनी कुह्वा कहा जाता है |

महत्तपूर्ण जानकारियां

दोस्तों अगर आप जानना चाहते है के गोल्डन टेम्पल में सोना कितना लगा ,गुमने की जगह कोनसी है,जल्लियांवाले में गोली किसने चलाई, और भी जानकारियों के लिए निचे continue बटन पर क्लिक करे |