golden temple history in hindi | अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

golden temple history in hindi

श्री हरमिंदर साहिब जिसे  दरबार साहिब यां गोल्डन टेम्पल बी कहा जाता है, अगर बात करे golden temple history in hindi की तो जे गुरुदुवारा सिख धरम का सबसे उतम और पावन अस्थल गुरुदुवारा है और भारत के पंजाब राज जिल्ला अमृतसर में सिथित है ,अमृतसर रेलवे स्टेसन से लगभग 2.5 किलोमीटर और अमृतसर एअरपोर्ट (ATQ) से 12 किलोमीटर पर स्थित और सबसे जादा अकर्सन है पूरा अमृतसर शहर swarn  mandir  के चारो आवर फेल्ला हुवा है

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अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

अमृतसर का नाम उस सरोवर के नाम से रखा गया जो सिख धरम के चोथे गुरु रामदास जी ने आपने हाथो से इसका निर्माण किया था, सरोवर में श्रद्धालु स्नान करते हैं सरोवर बहुत बड़ी बड़ी और बहुत से कलर की मछलियों से भरा हुवा है। और गोरुदुवारा उसी सरोवर के भीचो -भीच है इस गुरुदुवारे का बहरी हिशा सोने की परत से बना है इसलिए इसे सवरण मंदिर जाँ golden temple भी कहा जाता है |जू तो गुरुदुवारा सिखों का है पर मंदिर सबद हर धरम को एक सामान माना जाता है

 

 

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गोल्डन टेम्पल किसने बनाया

इस गुरुदुवारा की नीह भी एक मुस्लिम ने राखी थी सिखों के पाचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने लाहोर के एक सूफी संत साई मियां मीर से 1577 में गुरुदुवारे की नीह रखवाई थी गुरुदुवारे के बन्नने का आरंब 1581 में हुवा और 1604 में पूरा हुवा लगभग 400 साल पुराने गुरुदुवारे का नक्सा खुद श्री गुरु अर्जन देव जी ने रखा था

गुरुदुवारे के चारो और चार दरवाजे है जो पूरब ,पश्चिम ,उतर ,दक्षिन की ओर खुलते है उस समय भी लोग चार जातिओं में बटे हुए थे ओर मंदिर में किसी को जाने की अजाजत नहीं थी पर गुरुदुवारे के चारो दरवाजे ओन चारो जातियों को आने का अमंतर करते है, golden temple history आपको बताती है के जहाँ पर हर धरम के आने वल्लो का सवागत किया जाता है |

 

नया निर्माण कब हुवा 

वेसे तो मंदिर को बहुत बार नस्ट किया गया है फिर भी सिखों ने अपनी सरदा और अपने गुरुओं की आगेयाओं को मानते और आपने दर्म को प्यार करने वल्ले सिखों ने इसे फिर दुबारा बना दिया व्सको दुबारा स्तार्वी सदी में जशा सिंह अलुवालिया दुवारा बनया गया .इसको जितनी वार भी नस्ट किया गया है उस का इतहास विवरण गुरुदुवारे में रखा गया है |

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अफगान हमलावारों ने 19 वि सदी में ओनोने गुरुदुवारे को पूरी तरह नषट कर दिया था उस के बाद मे महाराजा रंजित सिंह ने golden temple को  फिरसे बना कर और गुरुदुवारे पर सोने की पर्त में सजा दिया उस टाइम लगभाग 700 किलो ग्राम सोना लगा था सोने की परत चराने से गुरुदुवारे की सुन्दरता और बहुत यदा पर्सिदी दुनियां में फेल गयी तब से गुरुदुवारे श्री हरमिंदर शाहीब जी को गोल्डन tempal से भी जाना सुरु हो गया |

बहार से आने वल्लों का सवागत

हरमंदर शाहीब में रोज आने वल्ले सर्दलों की बहुत बड़ी गिनती लगभाग 1 लाख से भी अदिक होती है , golden temple history in hindi है के गुरुदुवारे में पहरी चार दरवाजे है जो हर धर्म के बारे में सोच को और उन के आने वालों का सवागत करते है चारों दरवाजो का मतलब कोई भी धरम का इन्सान गुरुदुवारे में आ सकता है बहार से आने वल्लों के लिए रहने के लिए श्री गुरु रामदास सराए में 286 कमरे ओर 18 बड़े हाल है जहाँ पर बाहरी सर्दाल्लू 3 दिन तक ठहर सटके है,रात को रुकने के लिए गदा और कम्बल भी दिए जाते है |

गुरु जी का लंगर

गुरु जी लंगर गुरुदुवारे में आने वालों हर सर्दाल्लूं ले लिए 24 घंटे खुला रहता है जहाँ पर रोज लगभाग 50 हजार से भी अदिक गुरु जी का लंगर और परसाद ग्रहन करते है, खाने-पीने की व्यवस्था गुरुद्वारे में सरदा से दिए जाने वाले चढ़ावे और दूसरे कोषों से होती है। गुरुदुवारा में लंगर में खाने-पीने की व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक ओर से नियुक्त सेवादार करते हैं। वे यहाँ आने वाले सर्दालुवों (संगत) की सेवा में हर तरह का योगदान देते हैं।

प्रकाशोत्सव

प्रकाशोत्सव सुबह 3 बजे से आरंभ होता है, जब गुरुग्रंथ साहिब जी को बड़े ही सन्मान से उनके कक्ष से गुरुद्वारे swarn mandir में लाया जाता है। गुरुदुवारे में संगतों की टोली भजन-कीर्तन करते हुए गुरु ग्रंथ साहिब जी को पालकी में सजाकर गुरुद्वारे में लाती है। रात के 10बजे के समय सुखासन के लिए गुरु ग्रंथ को सन्मान के साथ कक्ष में भी वापस भी उसी तरह से लाया जाता है।

वैसे तो गुरुद्वारे में रोज ही श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है, लेकिन गर्मियों की छुट्टियों में गुरुदुवारे में ज्यादा भीड़ रहती है। बड़ी ही सरदा से मनेये जाने वाले त्योहार जेसे बैसाखी, लोहड़ी, गुरुनानक पर्व,दीवाली , शहीदी दिवस, संगरांद जैसे त्योहारों पर पैर रखने की भी जगह नहीं होती ,इसके अलावा सुखासन और प्रकाशोत्सव का नजारा देखने लायक होता है, और यहां सच्चे मन से करने वाली अरदास से मन की सब बाते पूरी होती हैं।

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दुखभंजनी बेरी

गुरुदुवारे के अन्दर में दुखभंजनी बेरी नामक एक स्थान है। माना जाता है कि एक बार एक पिता ने अपनी बेटी का विवाह कोढ़ ग्रस्त व्यक्ति से करा दिया था । उस लड़की को यह विश्वास था कि हर व्यक्ति को इश्वर ने एक सामान बनाया है और वह कोढ़ी व्यक्ति भी ईश्वर की दया पर ही जीवित है। वही इस्वर उसे खाने के लिए भी देता है। वह लड़की शादी के बाद अपने कोढ़ी पति को इसी तालाब के किनारे बैठाकर गांव में भोजन की लेने के लिए गई थी ।तो तभी वहाँ एक कौवा आया, उसने तालाब में डुबकी लगाई और हंस (सफ़ेद )बनकर बाहर निकल गया ऐसा देखकर कोढ़ग्रस्त व्यक्ति बहुत हैरान हुआ। उस कोड़ी व्यक्ति ने भी सोचा कि अगर मैं भी इस तालाब के अन्दर चला जाऊं, तो मई अपने कोढ़ से निजात पा सकता हु |

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swaran mandir

तब उसने तालाब में छलांग लगा दी और जब वेह बाहर आया तो उसने देखा कि उसका कोढ़ नष्ट हो गया है । यह वही सरोवर है, जिसमें आज भी golden temple स्थित है। तब यह छोटा सा तालाब और जिसके चारों तरफ बेरी के पेड़ थे। तालाब अब पहले से बहुत बड़ा हो चूका है , तो भी उसके एक किनारे में आज भी बहुत बड़ा बेरी का पेड़ है। यह स्थान दुखोयों को हरने वाला पावन अस्थान माना जाता है। यहां भी श्रद्धालु की बहुत सरदा है और माथा टेकते हैं। अगर आप इंग्लिश में पड़ना चाहते है तो आप विकिपीडिया में जा कर पड़ सकते हो |

FAQ

Q 1. स्वर्ण मंदिर का पुराना नाम क्या है ?

ans. स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेंपल का पुराना नाम हरिमंदिर साहब था |

Q 2.स्वर्ण मंदिर की नींव कब और किसने रखी ?

ans. सिखों के पाचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने लाहोर के एक सूफी संत साई मियां मीर से 1577 में गुरुदुवारे की नीह रखवाई थी |

Q 3.स्वर्ण मंदिर के संस्थापक कौन हैं ?

ans. सिख धरम के चोथे गुरु रामदास जी संस्थापक थे |

Q 4. गोल्डन टेम्पल कब बना ?

ans. इस गुरुदुवारा की नीह भी एक मुस्लिम ने राखी थी सिखों के पाचवे गुरु श्री गुरु अर्जन देव जी ने लाहोर के एक सूफी संत साई मियां मीर से 1577 में गुरुदुवारे की नीह रखवाई थी गुरुदुवारे के बन्नने का आरंब 1581 में हुवा और 1604 में पूरा हुवा|

Q 5. अमृतसर स्वर्ण मंदिर में कितना सोना लगा है ?

ans. गुरुदुवारे पर सोने की पर्त में सजा उस टाइम लगभाग 700 किलो ग्राम सोना लगा था |

Q 6. अमृतसर का पहले नाम क्या था ?

ans. जहां अभी स्वर्ण मंदिर है वहां पर एक सरोवर हुआ करता था जिसको अमृत सरोवर के नाम पर जानते थे उस सरोवर के नाम पर अमृतसर का नाम रखा गया|

Q 7. सोने का मंदिर कौन सा है ?

ans. पंजाब के अमृतसर जिले में सोने का मंदिर है जिसको के गोल्डन टेंपल कहा जाता है |

Q 8. अमृतसर कौन से स्टेट में है?

ans. भारत में पंजाब राज्य का जिला अमृतसर है|

निष्कर्स

दोस्तों आज आप ने golden temple history in hindi के बारे आपके जाना, जहाँ पर कोई जात पात नहीं होती कोई भी इन्सान अमृतसर के गोल्डन टेम्पल में आ सकता,अगर दोस्तों मेरी जे जानकारी आपको अच्छी लगी है तो आपने दोस्तों के साथ शेयर करे,जे जानकारी सबको होनी चाहिए ,अगर आप को जे जानकारी अच्छी लगी तो कमेन्ट में जरुर लिखे | धन्यवाद

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