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रॉक गार्डन चंडीगढ़
भारत के उत्तर पूरब में बशा rock garden chandigarh शहर जो की पंजाब और हरयाणा की राजधानी भी है इसको नेहरु जी के सपनो का शहर भी जाना जाता है बहुत ही खूबसूरती से बना जे शहर भारत देश में एक अलग पहचान रखता है इस में बहुत से गुमने के स्थान है जेसे के रोज गार्डन ,पिंजोर गार्डन,अंतर्राष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय,सुखना लेक, फन सिटी,टेरेस गार्डन,रॉक गार्डन जेसे दिल को सुह जाने वाले स्थान है,लेकिन आज हम जाने वाले है रॉक गार्डन के बारे में|
rock garden chandigarh timings
मौसम : 30° C
गरमीयों में समम:- 9:00 AM – 7:00 PM (April- September),
सर्दियों में समय:- 9:00 AM – 6:00 PM (October- March)
rock garden ticket price
Entry Fee :
Adults – INR 30
Children – INR 10
समय की आवश्यकता : 4-5 hours
rock garden kisne banaya
इस संसार रूपी अद्भुत संरचना में अगर कुछ भी शरीक रूप से अस्तित्व में है तो परोक्ष रूप से वह सब कुदरत की परिकल्पना का ही स्वरूप है इस सांसारिक रंगशाला रूपी खेल में शामिल किए गए किरदारों के रंग रूप कैसे होंगे उनकी उत्पत्ति या विलय की समय सीमा का निर्धारण उस परमेश्वर की इच्छा अनुरूप ही तय होता है,
पुरे संसार में कला ही एक ऐसा क्षेत्र है जिस से जुड़े कलाकार अपनी ही परिकल्पना को आधार बनाकर अपनी कृतियों को बना कर उस लाकर खड़ा कर देते हैं ऐसी विभूतियों ब्रह्मांड में एक अलग पहचान छोड़ जाते हैं,
nek chand
ऐसे ही एक व्यक्ति थे नेक चंद (Indian artist) जी जिन्होंने rock garden chandigarh का सृजन किया और अमर हो गए, 15 दिसंबर 1924 को एक किशन के घर और गांव बेरियां कलां में हुआ था, भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा है अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद pwd में रोड इंस्पेक्टर के पद पर कार्यभार संभाला और इसके बीच में हुए बटवारे में अपना घर बार छोड़कर परिवार के साथ सरहद पर हिंदुस्तान के गुरदासपुर जिले में आकर शरण लेनी जैसी घटनाएं संभवत किसी को वेयाकुल कर सकती है,
ऊपर वाले की योजना को कौन टाल सकता है अगर इस पीड़ा को भूलकर सकारात्मक पहलू देखें तो न चंडीगढ़ बनता और न ही रॉक गार्डन बनता न ही नेक चाँद जी पाकिस्तान को सोड कर भारत आते, pwd की नौकरी जारी रही और उन्होने करनाल पानीपत जैसे शहरों में कुछ बताएं,
rock garden in hindi
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु जी ने शहर की नींव रखी और नेक चाँद जी का तबादला भी यही कर दिया गया चंडीगढ़ के कई रोड बनाने में योगदान देने के बाद सुखना जील से लेकर हाईकोर्ट जाने वाले रोड बनाने का जिम्मा नेक चढ़ जी को सौंपा गया और यहां से कलाकार के अंदर छिपे कला को रॉक गार्डन में रूपांतरित का पहला मील का पत्थर साबित हुई,
जील के किनारे बनती हुई सड़क की चपेट में आकर पीपल का अपनी चढ़ी जवानी से पहले ही निर्मूल को जाना लगभग निश्चित था अगर नेक चाँद जी इस को बचाने की तरकीब नहीं बिठाते हैं तो यह स्थल सुखना लेक का लैंडमार्क नहीं बनता इस नाजायज ब्रिक्स की छाया का सुखद आनंद लेने वाले शायद ना तो महसूस कर सकते हैं और ना ही बयां कर सकते हैं,
प्रकृति रखने वाला मानवता के प्रति भी हमेशा सजग रहेगा झील के उस पार जंगल में महात्मा साधना किया करते थे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें हर रोज एक लंबा सफर तय करना पड़ता था
नेक चंद जी ने अपने विवेक और कला कौशल का इस्तेमाल करते हुए तारकोल के खाली डबो और लकड़ी के पत्तों का गठजोड़ करके एक कश्ती बना ली ताकि उनका सफर उनकी तकलीफ कम हो सके,
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rock garden chandigarh चंडीगढ़ में ही बना है और उधर रोड बनने के साथ-साथ chandigarh शहर का प्रारूप भरने लगा और उधर जंगलों में उभरने लगी थी रॉक गार्डन की प्रारंभिक आकृति नेक चंद ने 1957 में कुटिया में बैठकर इस ऐतिहासिक और काल्पनिक नगरी की नींव रखी थी दुनिया की नजरों से बचाकर कई सालों तक अकेले ही इस नगरी का निर्माण करते रहे,
नेक चाँद जी साइकिल पर चंडीगढ़ के साथ लगती शिवालिक की पहाड़ियों पर चले जाते और बरसाती नालों और खाइयो में से ऐसी पत्थर ढूंढते जिनमें उन्हें कोई रूप नजर आ जाता ऐसे पत्थरों को नदियों नालों से लाकर इकट्ठा करते जाते और कल्पनाओं पर आधारित नगरी को विकसित करने में जुट जाते हैं कामयाब ऐसे लोग नहीं होते हैं जो कभी विफल नहीं होते बल्कि वह होते हैं जो हारने के बाद भी लग्न नहीं छोड़ते,
उस टाइम रात को ना तो बिजली का कोई साधन था और ना ही इतने पैसे थे के लालटेन या मोमबत्ती का इस्तेमाल करके काम किया जा सके तो काम करने के लिए बेकार हो चुके टायरओं को आग लगाकर उसकी रौशनी में काम किया करते थे,
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जंगल का जंगली जानवरों का भी खतरा बना रहता था मच्छरों से बचने के लिए एक चंद जी अपने सिर और गानों को ढकने के लिए झूठ के खाली थैली को धो कर अपने चारो और बांधकर अपना काम करते रहते थे, दूसरी तरफ जिंदगी का दूसरा पक्ष उनका परिवार था दिन में यथार्थ की दुनिया के घर परिवार को चलाने के लिए नौकरी और रात को सपनों की दुनिया को वास्तविकता की दुनिया में बदलने की प्रक्रिया में शायद वक्त में परिवार को पछाड़ दिया,
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नेक चाँद जी का ढाई साल का बेटा डॉक्टर के पास लेकर जाते हुए रास्ते में ही चल बसा इस घटना से नेक चाँद जी को इसका सदमा तो पहुंचा मगर यह सब भगवान की मर्जी समझकर अपनी साधना में लगे रहे जिस जगह पर rock garden chandigarh आज खड़ा है उस जगह कोई जंगल के रूप में नामित किया गया था और इस जगह पर कुछ भी बनाना गैरकानूनी था नगरी को 18 साल की लंबी अवधि तक छुपाकर फैलाते रहे 1975 अधिकारियों को जब इसका पता चला तो यह लगभग 12 एकड़ में फैल चुका था,
उनकी मेहनत और काम पर खतरा मडराने लगा मगर जनसमूह के प्यार और अधिकारियों की राय को आखिरकार में नेक चंद जी अपने पक्ष में करने में सक्षम करें और निजी क्षेत्र में पार्क का उद्घाटन एक सार्वजनिक स्थान के रूप में घोसित कर दिया गया इस नगरी का नाम रॉक गार्डन तो सरकार ने दिया मगर नेक चाँद जी की कल्पना में यह एक देवी देवताओं की नगरी यानी किंग्डम आफ गॉड्स एंड गोडेसेस है,
नगरी की दशियां
पहली नजर में शायद हर किसी को यह बेस्ट आउट ऑफ द बेस्ट की महानतम कृति लगे लेकिन अनुभूति होने पर एक अलग ही कहानी बयां करते हुए सही मायनों में नेक चंद जी की कल्पनाओं को चित्र अंकित करती हैं किसी भी पूजा स्थल की तरह आपको देवी देवताओं की इस नगरी के हर प्रवेश द्वार से झुक कर ही जाना होगा आगे दोनों तरफ नगरी की दशियां आपका स्वागत करते नजर आएंगे, इनको किसी ने नहीं बनाया,
यह वही पत्थर है जो नदियों और जंगलों से उठा कर लाया गया है और इन्हें के रूप में ही रोक दिया गया है, और इन्हें इनके मूल स्वरूप में ही सुशोभित किया गया है अभी प्राय पूर्वक देखने से हर पत्थर में कल्पनाओं की कोई न कोई मूर्ति नजर आ ही जाएगी इस नगरी का हर हिस्सा अपने आप में एक अलग कहानी संजोए हुए है और उस हिस्से का हर बाशिंदा हर किरदार एक अलग पहचान रखता है,
संगीत दरबार
नगरी का अगला step संगीत दरबार है जहां आने वाले सभी मेहमानों का स्वागत संगीत पर होता था दोनों और पत्थरों रूबी अलग-अलग संगीत वाद्य यंत्रों से सुसज्जित दिखाई देने वाली मूर्तियां चर्चा की कल्पना में संगीतकार और पहली बार है जब शाम को नगरी का मुख्य द्वार बंद कर दिया जाता था तब यह संगीतकार अपने-अपने बातें यंत्रों को पास में बने कक्ष में रख दिया करते थे लक्ष्मी कभी-कभी नेक जी अकेले बैठकर प्रकृति का और अपनी कल्पनाओं का आनंद लिया करते थे,
पहाड़ी गांव
अगला पड़ाव होगा इस नगरी के एक छोटे से पहाड़ी गांव में इसके लिए फिर से दूसरे पहाड़ की दरार से गुजरना होगा इस तरह को शिवालिक की पहाड़ियों की ही किसी हिस्से से उठाकर लाए गए चुने के पत्थरों से खड़ा किया गया है इस तरह के खत्म होते ही काले पत्थर की दीवार में फाउंड्री से निकले हुए बेकार कोयले का इस्तेमाल कितने आकर्षक ढंग से किया गया है,
पहाड़ का एक छोटा सा गांव कितना खूबसूरत है छोटे-छोटे मिट्टी के घर और उनकी टूटे हुए घरों के टुकड़ों से बनी है यानी हर बेकार वस्तु को इसके रचनाकार ने अपनी विचारशील संरचनाओं के माध्यम से एक नया आकार दिया है,
पानी के चश्मे
घरों के पास छोटे-छोटे खेतों में से निकालकर पानी कि चश्मे नीचे आकर एक बड़े झरने का रूप ले लेते हैं यही झरना आगे एक नाले का रूप ले लेता है और नाला जाकर नदी में मिल जाता है एक और पहाड़ पर बनी घर के नीचे पहाड़ी दरार में से दूर आपको एक बहुत बड़ा झरना नजर आएगा उसने के पास पहुंचने के लिए ऐसे कई हिस्सों से गुजरना होगा जिसके रास्ते में ही तरफ नदी है,
तो दूसरी तरफ एक पहाड़ है यह एक और पहाड़ों के ऊपर छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं दूसरी ओर पुल के पास बारिश से बचने के लिए एक छोटा सा खड़े होने का स्थान बना हुआ है जे पगडण्डी छोटी सी गुफा में से होकर निकलेगी सचमुच यह सपनों की दुनिया की स्वीकृति है rock garden chandigarh नाम से विश्वविख्यात नगरी के तीन खंड है
#1. पहला राजदरबार बहुत से जुड़ी गतिविधियों का केंद्र है
#2. दूसरा आम जनता के लिए वर्गीकृत किया गया है यह उच्च मध्यम वर्ग के साथ साथ जिंदगी के हर रंग और रूप को संजोया गया है विशिष्ट वर्ग का सीधा मतलब उनकी आर्थिक संपन्नता से है इस पर उनके रंगदार पहनावे रहन-सहन उनके द्वारा अपनी सुरक्षा के लिए किए गए बंदोबस्त को प्रदर्शित कर बखूबी निभाया गया है,
यह सदियों पुराने समृद्ध समाज और उन के बीच की असमानता को कहीं ना कहीं आज भी समाज को आईना दिखाने में सक्षम है परंपरागत विधान और प्रजनन की परिभाषा को प्रदर्शित करता है जहां पर एक कुवा है जहाँ से औरतें घर के लिए पानी भरने आती है महिलाओं का रास्ते में थक कर बैठ जाना आगे के सफर की दूरी की कहानी खुद बयां कर रहा है आज के स्वरूप में भी यह सब कहीं ना कहीं तो रिश्तेदार रूढ़िवादिता को प्रदर्शित करता ही है,
#3. तीसरे भाग का निर्माण आज के प्रतिनिधि के रूप में किया गया है जो चौगान के नाम से जाना जाता था ऐसी जगहों को दिल बहलाने और अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए उपयोग में एक्वेरियम हाउस के साथ-साथ पूरे गांव की छवि प्रस्तुत करते हुए एक नया आयाम प्रदर्शित करता है लेकिन हकीकत तो जे है की इन्शान चाहे कितनी भी बड़ी दुनिया बना ले लेकिन उसकी रचयिता की मर्जी के आगे हार जाता है और टूट जाता है |
FAQ
Q 1. rock garden kahan hai ?
Ans. चंडीगढ़ , भारत
Q 2. रॉक गार्डन किसने बनाया ?
Ans. नेक चाँद सैनी
Q 3. rock garden timings kitna hai ?
Ans. मौसम : 30° C
गरमीयों में समम:- 9:00 AM – 7:00 PM (April- September),
सर्दियों में समय:- 9:00 AM – 6:00 PM (October- March)
Q 4. rock garden ticket price keya hai ?
Ans. Entry Fee :
Adults – INR 30
Children – INR 10
समय की आवश्यकता : 4-5 hours
Q 5. rock garden chandigarh kab bna ?
Ans. 1975 में नेक चाँद जी ने बनया
Q 6. रॉक गार्डन का खेत्रफल कितना है
Ans. लगभग 12 एकड़ में फैला है
Q 7. रॉक गार्डन को बनते कितना टाइम लगा ?
Ans. 18 साल लगे (1957 से 1975 )
निष्कर्स
भारत में सुंदरता की कहानी बयान करता rock garden chandigarh जोके नेक चंद जी के द्वारा बनाया गया है, दोस्तों मुझे आशा है आपने रॉक गार्डन के बारे में अच्छी तरह जान लिया होगा, अगर आपको जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें आपका कोई सवाल हो तो मुझे नीचे कमेन्ट करे, मगर आपको जे जानकारी कैसी लगी कमेन्ट में जरुर लिखे, पोस्ट पड़ने के लिए आपका –धन्यवाद